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विस्तार : सीक्रेट ऑफ डार्कनेस (भाग : 08)




उड़ता हुआ वह शख्स विस्तार के समक्ष कुछ दूरी पर जाकर रुका। आश्चर्यजनक बात यह थी कि वह बाहर से आया हुआ था और आने के क्रम में किले पर कहीं कोई आँच न आई थी। अमन के चेहरे की मुस्कराहट बढ़ी फिर अचानक से ओझल हो गयी, जैसे वह उसे देखकर खुश तो हुआ पर कुछ अवश्य ही छिपाने की कोशिश कर रहा। उस शख्स के कारण वह कक्ष हल्की रोशनी से भर गया। विस्तार के बाल हवा में लहरा रहे थे वह जमीन से थोड़ा ऊपर अपने पांव को सीधे कर खड़ा था। दोनों हाथों को मोड़कर उनसे निकलती स्याहियों को घूर-घूरकर देख रहा था जिस कारण उसकी आँखें और बड़ी प्रतीत होती। उसके जिस्म पर काला लिबास था जो लिबास कम उसके शरीर का हिस्सा अधिक प्रतीत हो रहा था। सीने पर दायीं ओर ओमेगा चिन्ह बना हुआ था जिसकी लाइन ऊपर कंधे से लेकर नीचे कमर तक जा रही थी और सीने के बीच में उसका गोल घुमान था।

"तुमने बहुत देर कर दी वीर! मेरे सारे दोस्त मारे गए।" अमन आने वाले शख्स पर बरसते हुए कहा।

"कम से कम तुम तो बच गए हो न! शांत हो जाओ हम अपना कार्य सफलतापूर्वक कर लेंगे।" विस्तार के सम्मुख उसी के मुद्रा में खड़ा होकर वह शख्स बोला। उसका लिबास भी काला था परन्तु उसके कॉलर और और चौड़ी आस्तीनें गहरे लाल रंग की थी। कमर और लाल रंग कमरपट्टिका बंधी हुई थी, जिसका एक सिरा उसके बायीं ओर लटक रहा था। चेहरा स्पष्ट रूप से दिखाई नही दे रहा था परन्तु उसके बदन से हल्की-हल्की रोशनी स्फुटित हो रही थी।

विस्तार को अपने किये पर लेशमात्र भी अफसोस नही हो रहा था। उसके चेहरे का रंग गहरा काला होता जा रहा था, दोनों के बाल हवा के रुकने के बाद भी लहरा रहे थे।

"मैं अब तुम्हें कुछ नही करने दूंगा विस्तार! अपने ही मित्रगणों को मारकर तुमने यह सिद्ध कर दिया कि तुम कितने अधिक खतरनाक हो।" वीर, विस्तार पर अपने हाथ को मोड़कर ऊर्जावार करते हुए बोला। विस्तार ने उसके वार को अपना हाथ उठाकर रोक लिया। वीर यह देखकर बहुत हैरान हुआ उसके माथे पर चिंता की लकीरें खींच गयी। विस्तार अपनी मुट्ठियों को भींचकर ऊपर उठाते गया कमरे की सभी हड्डियां ऊपर उठकर वीर की ओर बढ़ी। वीर अपनी दोनों हथेलियों को मिलाकर धक्का देने की मुद्रा में खड़ा हुआ, अगले ही पल हवा में मौजूद सभी हड्डियां निष्क्रिय हो गयी। अमन फटी आंखों से कभी इन दोनों को देख रहा था तो कभी अपने दोस्तों और अपने प्यार के विखण्डित पड़े शव को। उसके मन में घृणा भर गई, वह वहीं बैठ गया, उसकी आँखें लाल हो चुकी थी अब चेहरे पर कोई भी भाव परिदृश नही हो रहा था।

विस्तार अपने दोनों हाथों को फैलाकर क्रॉस की मुद्रा बनाता है अगले ही क्षण वह कक्ष चारो ओर से सिकुड़कर वीर को दबाने लगा। वीर की हल्के से वार से वे दीवारें सिकुड़ना बन्द कर अपने स्थान पर ही रुक गयी।

"तुम यह सोच भी कैसे सकते हो विस्तार! मुझसे तुम नही जीत सकते। मैंने तुम्हारे जन्म की रात ही तुम्हें बचाने में मदद की, मेरे द्वारा ही तुम्हारा नाम रखा गया और अब मेरे द्वारा ही तुम्हारा भाग्य लिखा जाएगा।" वीर, अपने दोनों हाथों से विस्तार पर उर्जावार करता है जिससे विस्तार दूर जाकर अपने पीछे की दूसरी दीवार से टकराता है। विस्तार से टकराने के कारण दीवार के पत्थर टूटकर टुकड़े हो जाते हैं। विस्तार ऊपर उठकर अपनी मुट्ठियों को बांधकर आपस में टकराता है, टक्कर से स्याह ऊर्जा निकलकर वीर की ओर बढ़ी जिससे वह दीवार से टकरा जाता है। वीर को काफी गहरी छोटे आती हैं वह विस्तार से बचकर भागते हुए अमन के पास जाता है।

"इसे रोकने के लिए और अधिक शक्ति की आवश्यकता होगी, मैं इसे नही रोक सकता।" वीर हाँफते हुए बोला जिसपर अमन धीरे से मुस्कुराया।

"तुम जो भी हो चले जाओ यहां से अन्यथा जीवित नही छोडूंगा।" विस्तार खतरनाक स्वर में बोला। कक्ष की दीवारों से टकराकर उसका स्वर गूँजने लगा। "पर भागोगे कहाँ! अपनी मृत्यु से बचकर कहाँ जाओगे?" अचानक शैतानी आवरण ने उसे ढक लिया।

"तुम्हें रुकना होगा विस्तार! तुम किसी के बहकावे में आ गए हो। लाओ अपनी सारी शक्तियां मुझे दे दो।" अपने दाएं हाथ में एक लाल-पीला पत्थर लिए हुए वीर, विस्तार से कहता है।

"मैं तुम्हारी चालों को समझता हूँ वीर! अब तुम कभी अपने चाल में कामयाब नही होगे।" विस्तार एक एक शब्द को चबा-चबाकर बोलता है। वह अपने आगे बढ़ाए हुए हाथ को पीछे खींच लेता है।

"वो तो मैं हो चुका हूँ विस्तार! तुम वहां आ चुके हो जहां मैं लाना चाहता था हाहाहा.. बहुत कर लिया इंतज़ार अब और नही कर सकता।" अचानक वीर की आँखों में विषाक्त लालसा नजर आने लगी। वह पीले पत्थर को अमन की ओर फेंका। " यह रहा तुम्हारा पारितोषिक! हाहाहा…" उस पत्थर को हाथ लगाते ही अमन का रूप बदलने लगा, उसके सम्पूर्ण शरीर पर काले-लाल रंग का लिबास आ गया। हाथों में भाँप के समान उठती हुई स्याह ऊर्जा जैसी विस्तार के हाथों में उठ रही थी, निश्चय ही अब अमन के पास वही शक्ति थी जिसने विस्तार को ऐसे रूप में परिवर्तित कर दिया था। अमन की आंखे शोक से उबर चुकी थी, मन में कोई संताप नही था परन्तु आँखों में कोई ज्वालामुखी सा लावा भभक रहा था।

"सदियों से हम इस प्रयास में लगे रहे, आज अंधेरा मुक्त होकर ही रहेगा। और अब अंधेरे की महान शक्ति आजाद हो चुकी है, अब इस सम्पूर्ण धरा पर अंधेरे का राज होगा। हाहाहा…" अमन, वीर की सहायता करने आगे बढ़ता है।

"म..मैं अपनी वजह से अंधेरे को कभी मुक्त नही होने दूंगा। अहह.. यह अंधेरा विस्तार के साथ ही नष्ट हो जाएगा।" विस्तार जैसे उस शैतानी खोल से बाहर आने की कोशिश करता हुआ बोला। वहाँ अपने दोस्तों की विक्षिप्त लाशें देखकर वह घबरा गया।

"तुम कहाँ कुछ कर रहे हो प्यारेलाल! ये तो मैं यानी अंधेरे का अनुचर 'वीर' कर रहा हूँ। न जाने कितने सालों से हमने कोशिश की इसलिए तुम्हे मरने भी न दिया वरना फिर कई वर्ष इंतजार करना पड़ता किसी के 'कुंजी' बनने की और हमारे तो सब्र का बांध ही टूट चुका है।" शैतानी ठहाका लगाते हुए वीर बताने लगा। विस्तार यह सुनकर सन्न रह गया। "तुम्हें सकुशल यहां तक लाना शैतान को मुक्त कराकर संसार में अंधेरे को फैलाना और पाँच शरीर के भिन्न रक्तो को आपस में मिलाकर पंच श्वेरक्त को अम्लीय करना सब हमारी प्रक्रिया थी। तुम अब कुछ भी नही कर सकते विस्तार, हम जानते थे कुछ ही क्षण में तुम्हें होश आया जाएगा, कुंजी पर अंधेरा शक्ति प्रदान करने के बाद भी हावी नही रह सकता परन्तु फिर भी केवल तुम ही अंधेरे को वहां से सोखकर बाहर निकाल सकते थे इसलिए हमें यह खतरा उठाना पड़ा।" वीर, विस्तार को विस्तारपूर्वक समझा रहा था, विस्तार की आँखे हैरानी से फैलती जा रही थी।

"पहले अमन को शक्तिशाली बनाने का वचन देकर तुम्हें और तुम्हारे दोस्तों को यहां तक लाया फिर इस महल तक और अब देखो स्वयं को कि तुम क्या बन चुके हो! तुम केवल मोहरे ही थे विस्तार, सभी चालें हमने चली। उस कैद तक तुम जा सकते थे, अंधेरे की कुंजी होने के बाद भी तुम्हें अच्छाई के कीड़े ने काट रखा है न विस्तार! अब अंधेरा आजाद हो चुका है रोक सको तो रोक लो।" विस्तार धीरे-धीरे अपने होश में आ रहा था, परन्तु अब भी उसपर शैतानी शक्तियां हावी थी। वीर की एक-एक बात विस्तार के कलेजे को चीरती जा रही थी, आज उसकी वजह से अंधेरा मुक्त हो गया और उसके अपने हाथों उसके दोस्त मारे गए, इन सबके पीछे उसके उस दोस्त ने भी उसे धोखा दिया जो उसके लिए सगे भाई से बढ़कर था। सम्पूर्ण मानवता को धोखा मिला था आज, विस्तार के कारण हुआ ये सब! मन में ऐसे विचार आते ही विस्तार आत्मग्लानि से भर गया उसकी आत्मशक्ति कमजोर पड़ गई, उसके बदन से स्याहियां भांप की तरह उड़ने लगी।

'हे माँ ब्रह्मपुत्र! तुम मुझे पहले ही स्वयं में समा लेती तो आज अंधेरा मुक्त नही होता। मुझे क्षमा करना माँ परन्तु मैं इस कार्य की कुंजी साबित हुआ। मैं अंधेरे के मुक्ति में सहायक हुआ। म.... मैं अपने दोस्तों का हत्यारा बन चुका हूँ माँ!" अपने दोनों हाथ जोड़कर विस्तार मन में चीखने लगा, उसके मन में भयानक उथल-पुथल मची हुई थी। उसके इस कसमकश में आँखों से आँसुओ की धार बहने लगी।

अमन और वीर के चेहरे पर शैतानी मुस्कान नाच रही थी, उनके मुख पर विजेता के भाव थे आज वीर ने वो कर लिया जिस वह सदियों से करना चाहता था।

"आखिर मैं ही क्यों चुना गया माँ?" विस्तार जोर से चीखता है, कक्ष में अंधेरा और वीर की अट्ठहास बढ़ती जा रही थी। विस्तार की शक्तियां क्षीण हुई वह धम्म से जमीन पर आ गिरा। अचानक उसपर पुनः अंधेरा हावी होने लगा वह अपना स्थान छोड़कर सरका, वीर ने अब उसपर हमला करना आरंभ कर दिया।

"उसे मार क्यों रहे हो? वह हम में से एक बन सकता है। उसकी शक्तियां अंधेरे के विस्तार में सहायक होंगी" अमन, वीर से बोलता है।

"क्योंकि वह कुंजी है, जो ताला खोल सकता है वह बन्द भी कर सकता है अतः उसका मरना आवश्यक है। अब अंधेरे को शक्ति प्रदान करने के लिए नरबलियाँ चढ़ाई जानी भी आवश्यक है।" वीर, विस्तार पर हमला करता हुआ बोला।

"ऐसा ही होगा वीर! कई वर्षों पूर्व मैं तुम्हारे ही द्वारा इस मानव में स्थापित किया गया, किसी मानव के रूप में रहना कितना कष्टकर होता है लर मुझे ज्ञात हुआ कि तुमने मुझे क्या कार्य सौंपा है। अब समय आ गया है अपनी शक्तियों को संसार को दिखाने का और संसार को अपने कदमो पर झुकाने का।" शैतानी अट्ठहास करते हुए अमन कहता है। विस्तार को कुछ भी समझ नही आता उसके कानों में शिल्पी के आखिरी शब्द गूंज रहे थे, उसके सामने शिल्पी का मासूम चेहरा नाच गया "न..नही विस्तार तुम ऐसा नही कर सकते, तुम ये नही हो।" अचानक उसे फिर से होश आया वह वहां से तेजी से एक ओर भागा और उड़ते हुए गायब हो गया।

"वह कहाँ गया?" अमन चिंतित होकर पूछता है।

"उसके पास विशुद्ध स्याह ऊर्जा है, हम उसे नही ढूंढ सकते पर उसके अंदर की जो अच्छाई है वह उसे शांत नही बैठने देगी। उसे हम नही ढूंढेंगे वह स्वयं ही हमारे पास आएगा।" कहता हुआ वीर किले के आर-पार हो गया। अमन भी उसके पीछे पीछे चलता गया।

"शुरुआत करेंगे उसकी सबसे पसंदीदा जगह से।" अमन मुस्कुराकर आँख मारते हुए कहा।

"अब हम और भी शक्तिशाली होते जा रहे हैं शीघ्र ही अंधेरे की महान शक्ति अपनी कैद से आजाद होगी फिर हम सर्वशक्तिमान बन जाएंगे। हाहाहा…." वीर अट्ठहास करता हुआ गायब हो गया। अमन भी उसके पीछे-पीछे चला गया।

क्रमशः….

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8 Comments

Kaushalya Rani

25-Nov-2021 10:09 PM

Very beautiful

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Barsha🖤👑

25-Nov-2021 06:13 PM

बहुत ही खूबसूरत भाग सर

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Niraj Pandey

09-Jul-2021 09:19 PM

👌👌

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Thanks

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